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Does our Solar System have a wall?

Marking the boundary of our Solar System and interstellar space, this ‘wall’ provides important protection for the Earth.

Yes and no. True, scientists sometimes describe the rise in temperature at the Solar System’s ‘heliopause’ as a wall. This is the region of space where the ‘solar wind’ – the constant stream of mostly protons, electrons, and alpha particles emitted by the Sun – is no longer strong enough to push back the ‘wind’ of particles coming from distant stars. Here, the hot, tenuous solar wind plasma (ionised gas) gives way to the colder, denser ‘interstellar medium’ (ISM).

The Sun causing a bow shock (orange) as its solar wind (blue) collides with interstellar medium (gas, dust and other matter between star systems) © Science Photo Library

The heliopause marks the boundary between the Solar System and interstellar space – it is the edge of the ‘heliosphere’, the bubble of space in which the Sun’s magnetic field and particle emissions dominate.

How large is this important boundary? Consider that one astronomical unit, AU, is defined as the average distance between the Earth and the Sun. The heliosphere lies at about 120AUs from the Sun in the direction facing the interstellar wind – and in the opposite direction it extends to at least 350AU.

By deflecting 70 per cent of energetic ‘cosmic rays’, the Sun’s heliosphere is crucial in protecting the Earth (and hence humans) from harmful interstellar radiation.

Launched in 1977, initially bound for Jupiter and Saturn, NASA’s Voyager 1 and Voyager 2 spacecraft appear to have crossed the Sun’s heliopause on 25 August 2012 and 5 November 2018, respectively. Instruments onboard Voyager 2 discovered that as plasma at the heliopause slows down, it becomes denser and the local magnetic field increases.

Just beyond the heliopause, the temperature of the ISM is a staggering 29,700–50,000°C. This region has somewhat sensationally been dubbed the ‘wall of fire’. This is misleading because, although it is incredibly hot, the plasma here is extremely diffuse; meaning the Voyager probes (or anything else for that matter) can easily pass through the heliopause completely unharmed.

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Cryptocurrency prices today: 19 रुपये रह गई इस क्रिप्टो की कीमत, 60,000 डॉलर से नीचे आई बिटकॉइन

हाइलाइट्स
बड़ी क्रिप्टोकरेंसीज की कीमत में पिछले गिरावट आई है
बिटकॉइन की कीमत में आज करीब 3 फीसदी की गिरावट
ईथर 3.92 फीसदी गिरावट के साथ 4146 डॉलर पर आई
डॉगकॉइन भी 4.72% गिरावट के साथ 19 रुपये पर आई

नई दिल्ली
दुनिया की बड़ी क्रिप्टोकरेंसीज की कीमत में पिछले 24 घंटे में गिरावट आई है। बिटकॉइन (Bitcoin), ईथर (Ether) और डॉगकॉइन (Dogecoin) की कीमत में आज भारी गिरावट देखने को मिल रही है। दुनिया की सबसे बड़ी, सबसे पुरानी और सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन में करीब 3 फीसदी की गिरावट आई है। वजीरएक्स (WazirX) के मुताबिक सुबह 10.45 पर यह 2.85 फीसदी की गिरावट के साथ 59,331 डॉलर यानी 47,93,989 रुपये पर ट्रेड कर रही थी।

बिटकॉइन की कीमत हाल में 68,000 डॉलर के पार पहुंची थी। लेकिन इसके बाद से इसमें गिरावट आई है। इस बीच दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी ईथर 3.92 फीसदी गिरावट के साथ 4146 डॉलर यानी 3,35,000 रुपये पर ट्रेड कर रही थी। यह इसका इस महीने का न्यूनतम स्तर है। हाल में यह 4600 डॉलर के रेकॉर्ड स्तर पर पहुंची थी। पिछले 24 घंटे में ग्लोबल क्रिप्टो मार्केट कैप 10 फीसदी गिरावट के साथ 2.7 ट्रिलियन डॉलर रह गया है।

डॉगकॉइन भी गिरी
मीम क्रिप्टो डॉगकॉइन भी 4.72 फीसदी गिरावट के साथ 18.9635 रुपये पर आ गई। SHIB INU भी करीब 5 फीसदी गिरावट के साथ ट्रेड कर रही है। इस बीच SAND की कीमत में 29.25 फीसदी तेजी के साथ 268 रुपये पहुंच गई। MANA की कीमत में 8.88 फीसदी, AVAX में 8.33 फीसदी, LRC में 7 फीसदी तेजी आई है।

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Cryptocurrency : 22 रुपये वाली यह क्रिप्टो आज दे रही है 25 फीसदी का रिटर्न

नई दिल्ली, अक्टूबर 29। क्रिप्टो करेंसी का बाजार आजकल काफी चर्चा में है। लोगों ने इसे अमीर बनने का सबसे आसान रास्ता समझ लिया था। लेकिन अचानक दुनियाभर के कई देशों की सरकारों की सख्ती के चलते बिटक्वाइन से लेकर कई क्रिप्टो करेंसी के रेट एकदम से धड़ाम हो गए हैं। हालांकि कई क्रिप्टो करेंसी के रेट अभी भी ऊपर जा रहे हैं। कुछ क्रिप्टो करेंसी तो ऐसी हैं, जिनके रेट 2 डॉलर यानी 150 रुपये से भी कम हैं, और अच्छा रिटर्न दिया है। ऐसे में आइये जानते हैं कि इस वक्त बिटक्वाइन क्रिप्टो करेंसी, डॉगकॉइन क्रिप्टो करेंसी, एक्सआरपी क्रिप्टो करेंसी और एथेरियम क्रिप्टो करेंसी के अलावा कार्डानो क्रिप्टो करेंसी का लेटेस्ट रेट क्या है। आइये जानते हैं कि यह 22 रुपये वाली क्रिप्टोकरेंसी कौन सी है।

बिटक्वाइन क्रिप्टो करेंसी
बिटक्वाइन क्रिप्टो करेंसी का इस वक्त क्वाइनडेस्क पर रेट 61,550.89 डॉलर का चल रहा है। इसमें इस वक्त 3.97 फीसदी की तेजी है। इस रेट पर बिटक्वाइन क्रिप्टो करेंसी की मार्केट कैप 1.16 ट्रिलियन डॉलर है। बीते चौबीस घंटे के दौरान बिटक्वाइन क्रिप्टो करेंसी की अधिकतम कीमत 62,376.60 डालर और न्यूनतम कीमत 58,011.42 डॉलर रही है। जहां तक रिटर्न की बात है तो बीते एक साल में बिटक्वाइन क्रिप्टो करेंसी ने 112.63 फीसदी का रिटर्न दिया है। बिटक्वाइन क्रिप्टो करेंसी की ऑलटाइम हाई कीमत 66,974.77 डॉलर रही है।

एथेरियम क्रिप्टो करेंसी
एथेरियम क्रिप्टो करेंसी का इस वक्त क्वाइनडेस्क पर रेट 4,371.17 डॉलर का चल रहा है। इसमें इस वक्त 8.81 फीसदी की तेजी है। इस रेट पर एथेरियम क्रिप्टो करेंसी की मार्केट कैप 513.22 बिलियन डॉलर है। बीते चौबीस घंटे के दौरान एथेरियम क्रिप्टो करेंसी की अधिकतम कीमत 4,402.13 डालर और न्यूनतम कीमत 3,986.68 डॉलर रही है। जहां तक रिटर्न की बात है तो बीते एक साल में एथेरियम क्रिप्टो करेंसी ने 494.12 फीसदी का रिटर्न दिया है। एथेरियम क्रिप्टो करेंसी की ऑलटाइम हाई कीमत 4,379.11 डॉलर रही है।

एक्सआरपी क्रिप्टो करेंसी
एक्सआरपी क्रिप्टो करेंसी का इस वक्त क्वाइनडेस्क पर रेट 1.08 डॉलर का चल रहा है। इसमें इस वक्त 7.12 फीसदी की तेजी है। इस रेट पर एक्सआरपी क्रिप्टो करेंसी की मार्केट कैप 107.74 बिलियन डॉलर है। बीते चौबीस घंटे के दौरान एक्सआरपी क्रिप्टो करेंसी की अधिकतम कीमत 1.09 डालर और न्यूनतम कीमत 1.00 डॉलर रही है। जहां तक रिटर्न की बात है तो बीते एक साल में एक्सआरपी क्रिप्टो करेंसी ने 386.62 फीसदी का रिटर्न दिया है। एक्सआरपी क्रिप्टो करेंसी की ऑलटाइम हाई कीमत 3.40 डॉलर रही है।

कार्डानो क्रिप्टो करेंसी
कार्डानो क्रिप्टो करेंसी का इस वक्त क्वाइनडेस्क पर रेट 2.02 डॉलर का चल रहा है। इसमें इस वक्त 4.05 फीसदी की तेजी है। इस रेट पर कार्डानो क्रिप्टो करेंसी की मार्केट कैप 66.04 बिलियन डॉलर है। बीते चौबीस घंटे के दौरान कार्डानो क्रिप्टो करेंसी की अधिकतम कीमत 2.06 डालर और न्यूनतम कीमत 1.91 डॉलर रही है। कार्डानो क्रिप्टो करेंसी की ऑलटाइम हाई कीमत 3.10 डॉलर रही है।

डॉगकॉइन क्रिप्टो करेंसी
डॉगकॉइन क्रिप्टो करेंसी का इस वक्त क्वाइनडेस्क पर रेट 0.297018 डॉलर (करीब 22 रुपये) का चल रहा है। इसमें इस वक्त 24.61 फीसदी की तेजी है। इस रेट पर डॉगकॉइन क्रिप्टो करेंसी की मार्केट कैप 39.17 बिलियन डॉलर है। बीते चौबीस घंटे के दौरान डॉगकॉइन क्रिप्टो करेंसी की अधिकतम कीमत 0.34 डालर और न्यूनतम कीमत 0.24 डॉलर रही है। जहां तक रिटर्न की बात है तो बीते एक साल में डॉगकॉइन क्रिप्टो करेंसी ने 6,202.15 फीसदी का रिटर्न दिया है। डॉगकॉइन क्रिप्टो करेंसी की ऑलटाइम हाई कीमत 0.740796 डॉलर रही है।

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Earth and Mars: एकदम धरती की तरह है इस ग्रह की `मिट्टी`, पहले दिखते भी थे एक समान

वैज्ञानिकों का कहना है कि एक समय पर मंगल (Mars) ग्रह, बिल्कुल पृथ्वी (Earth) की तरह था. ये दोनों ग्रह एक ही तरह की `सामग्री` से बने हैं.

वॉशिंगटन: मंगल (Mars) ग्रह पर लगातार जीवन की खोज कर रहे वैज्ञानिकों का दावा है कि अरबों साल पहले पृथ्वी (Earth) और मंगल (Mars) ग्रह बिल्कुल एक जैसे नजर आते थे. वैज्ञानिकों का कहना है कि एक समय पर मंगल (Mars) ग्रह बिल्कुल पृथ्वी (Earth) की तरह था और ये दोनों ग्रह एक ही तरह की ‘सामग्री’ से बने हैं.


एक ही ‘मिट्टी’ से बने हैं दोनों ग्रह

एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. बेकी मैककौली रेंच ने एक यूट्यूब वीडियो में कहा कि मंगल ग्रह पृथ्वी की तरह ही था. ऐसे सबूत मिले हैं जो दिखाते हैं कि लाल ग्रह पर झीलें और धाराएं मौजूद थीं. उन्होंने कहा कि चार बिलियन साल पहले जब सोलर सिस्टम बना था, तब मंगल और पृथ्वी एक ही तरह की ‘सामग्री’ से बने थे और ये दोनों दिखने में एक जैसे लगते थे.


मंगल पर पानी की खोज

आज मंगल एक ‘सूखा ग्रह’ है, जबकि पृथ्वी एक नीला ग्रह है. पृथ्वी पर 70 फीसदी पानी मौजूद है. हालांकि हाल में की गई खोज में मंगल पर भी झीलों और धाराओं के सबूत मिले हैं.


वैज्ञानिकों के मुताबिक, मंगल पर आज भी पानी ठोस अवस्था में मौजूद है. वैज्ञानिक ग्रह के ठंडे और बर्फ वाले हिस्सों की जांच कर रहे हैं. डॉ. रेंच ने कहा कि मंगल के बारे में स्टडी पृथ्वी के विकास को लेकर हमारी समझ को बढ़ा सकती है.


प्राचीन झील में जीवन के निशान

नासा ने अपनी एक स्टडी में पुष्टि की है कि मंगल ग्रह पर पाई गई एक प्राचीन झील में जीवन के निशान मिल सकते हैं. नासा के Perseverance रोवर ने इसकी तस्वीरें ली हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि Jezero क्रेटर 3.7 बिलियन साल पहले एक झील थी, लेकिन जलवायु परिवर्तन की वजह से ये झील सूख गई. वैज्ञानिकों के मुताबिक, क्रेटर की मिट्टी में अभी भी प्राचीन जीवन के निशान मौजूद हो सकते हैं.


दोनों ग्रहों पर जीवन को लेकर डॉ रेंच ने कहा कि पृथ्वी प्लेट टेक्टोनिक्स के साथ विकसित होती रही और ग्रह पर जीवन की उत्पत्ति हुई. वहीं मंगल की भूवैज्ञानिक गतिविधियां थम गईं, धीरे-धीरे पानी खत्म हो गया और ग्रह पूरी तरह सूख गया.

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क्या आप जानते हैं यमुना नदी की उत्त्पति कहां से हुई है, इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य

भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक यमुना नदी की उत्त्पत्ति और इससे जुड़ी कुछ रोचक बातों को जानने के लिए पढ़ें ये लेख।

यमुना नदी को जमुना नदी के नाम से भी जाना जाता है। भारत की राजधानी दिल्ली को चारों तरफ से घेरे हुए यमुना नदी न सिर्फ दिल्ली बल्कि पूरे देश के कोने-कोने में रची बसी है। यमुना नदी उत्तर भारत की प्रमुख नदी है यह मुख्यतः उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश राज्यों में बहती है। गंगा नदी के साथ यह भी देश की सबसे पवित्र नदियों में से एक है।

यमुना का उद्गम स्थान पश्चिमी उत्तराखंड में यमुनोत्री के पास महान हिमालय में बंदर पंच मासिफ की ढलानों से होता है। यह हिमालय की तलहटी से होते हुए दक्षिण दिशा में तेजी से बहती है और उत्तराखंड से निकलकर, भारत-गंगा के मैदान में, उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्य के बीच की सीमा के साथ पश्चिम में बहती है। पूर्वी और पश्चिमी नहरों को भी यमुना के जल से सींचा जाता है। आइए जानें यमुना के उद्गम के साथ इससे जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में।

कहां से होता है यमुना नदी का उद्गम

यमुना नदी का उद्गम स्थान यमुनोत्री से है। ऐसा कहा जाता है कि यमुनोत्री दर्शन के बिना तीर्थयात्रियों की यात्रा अधूरी होती है। समानांतर बहते हुए यह नदी प्रयाग में गंगा में मिल जाती है। हिमालय पर इसके उद्गम के पास एक चोटी का नाम बन्दरपुच्छ है। गढ़वाल क्षेत्र की यह सबसे बड़ी चो़टी है यह करीब 6500 मीटर ऊंची है। अपने उद्गम स्थान से आगे बढ़कर कई मील तक विशाल हिमगारों में यह नदी बहती हुई पहाड़ी ढलानों से अत्यन्त तीव्रतापूर्वक उतरती हुई इसकी धारा दूर तक बहती चली जाती है।

सबसे पवित्र नदियों में से एक है यमुना
यमुना नदी भारत की सबसे बड़ी सहायक नदी है, गंगा नदी बेसिन की दूसरी सबसे बड़ी सहायक नदी है। यमुना का उद्गम यमुनोत्री ग्लेशियर से 20955 फीट की ऊंचाई पर होता है, जो बंदरपंच में स्थित है, जो उत्तराखंड में निचले हिमालय की चोटी है। प्रयागराज में त्रिवेणी संगम में यमुना नदी गंगा नदी में विलीन हो जाती है, जो हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थान है। यमुना नदी का नाम भारतीय भाषा संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ है जुड़वां। हिंदू धार्मिक ग्रंथों ऋग्वेद और अथर्ववेद में यमुना नदी का उल्लेख मिलता है। यमुना नदी का संबंध हिंदू भगवान कृष्ण के जन्म से भी है।इसलिए यह भारत की सबसे पवित्र नदियों (भारत की 7 सबसे पवित्र नदियां ) में से एक मानी जाती है।

दिल्ली से लेकर आगरा तक बहती है यमुना

यमुना नदी दिल्ली से गुजरती है और यह आगरा शहर की खूबसूरती को भी बढ़ाती है। दिल्ली के दक्षिण में और अब पूरी तरह उत्तर प्रदेश के भीतर, यह मथुरा के पास दक्षिण-पूर्व की ओर मुड़ती है और आगरा, फिरोजाबाद और इटावा से होकर गुजरती है। इटावा के नीचे इसे कई दक्षिणी सहायक नदियां मिलती हैं, जिनमें से सबसे बड़ी चंबल, सिंध, बेतवा और केन नदियां हैं। इलाहाबाद के पास, लगभग 855 मील के एक कोर्स के बाद, यमुना नदी गंगा में मिलती है। दो नदियों का संगम हिंदुओं के लिए एक विशेष रूप से पवित्र स्थान माना जाता है और वार्षिक उत्सवों के साथ-साथ यहां कुंभ मेला भी लगता है, जो हर 12 साल में आयोजित किया जाता है और इसमें लाखों भक्त शामिल होते हैं।

यमुना नदी का श्री कृष्ण से है गहरा नाता
धार्मिक मान्यताओं की बात की जाए तो यमुना नदी से होकर ही कृष्ण के पिता वासुदेव ने नवजात श्री कृष्ण को एक टोकरी में रखकर मथुरा से गोकुल तक उनके पालक पिता नंदराज तक पहुंचाया था। एक धार्मिक मान्यता के अनुसार कृष्ण के बचपन के दिनों में यमुना नदी जहरीली थी, क्योंकि यमुना नदी के नीचे कालिया नाम का एक पांच सिर वाला सांप रहता था, जो नहीं चाहता था कि मनुष्य यमुना के पानी का सेवन करें। श्रीकृष्ण ने बचपन में ही जहरीली नदियों में छलांग लगा दी थी और कालिया सर्प से युद्ध कर युद्ध जीत लिया था। कृष्ण ने बाद में यमुना नदी के जहर को दूर करके इसके पानी को साफ़ और पीने योग्य बनाया था।

यमुना नदी में गर्म पानी का कुंड
यमुना नदी में यमुनोत्री में एक गर्म पानी का कुंड भी है। इस कुंड को सूर्य कुंड के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि यह कुंड सूर्य देवता सूर्य की संतान को समर्पित है। सूर्य कुंड में पानी इतना गर्म होता है कि लोग इसमें चाय और चावल भी आसानी से बना सकते हैं और इस पानी का उपयोग करके आलू उबालते हैं। सूर्य कुंड के पानी का तापमान लगभग 88 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। सूर्य कुंड में तैयार चावल और आलू यमुनोत्री मंदिर में देवता को चढ़ाए जाते हैं।

क्यों प्रदूषित होती है यमुना नदी

यमुना नदी उत्तराखंड के एक ग्लेशियर से निकलती है। उत्तराखंड से यह पवित्र नदी हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में बहती है। आंकड़े बताते हैं कि यह नदी अपने जन्म स्थान से शुद्ध होकर निकलती है और आगे आते-आते प्रदूषित हो जाती है क्योंकि यह दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पहुंचती है जो इसके प्रदूष्ण का मुख्य कारण बनते हैं। हालांकि साल 1984 में, भारत सरकार ने यमुना को साफ करने का मिशन भी शुरू किया था लेकिन उसमें सफल नहीं हो सके। दिल्ली-एनसीआर में औद्योगीकरण और औद्योगिक कचरे को नदी में फेंकना प्रदूषण का प्रमुख कारण रहा है।

इस प्रकार विभिन्न तथ्यों को खुद में समेटे हुए यमुना नदी भारत की कई अन्य पवित्र नदियों में से एक है जो अपने उद्गम स्थान के साथ जहां से भी गुजरती है उन स्थानों को भी पवित्र बनाती है।

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World`s Best Tourist Places: ये हैं दुनिया की सबसे खूबसूरत टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स, तस्वीर देखते ही करेंगे ट्रिप प्लान

अगर आप भी फैमिली के साथ फॉरेन ट्रिप प्लान कर रहे हैं तो ये खबर आप ही के लिए है. आज हम आपको दुनिया की सबसे खूबसूरत जगहों के बारे में बताएंगे साथ ही वहां की तस्वीरें भी दिखाएंगे

नई दिल्ली: दुनिया भर में ऐसे कई स्थान हैं, जो अपनी खूबसूरती के लिए फेमस हैं. इन जगहों को देखने और यहां समय बिताने के लिए हजारों-लाखों सैलानी यहां आते हैं. कोरोना से छुटकारा पाने के बाद अगर आप भी ऐसे ही किसी खूबसूरत टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर जाना चाहते हैं, तो आज हम आपको दुनिया की कुछ सबसे खूबसूरत जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां की तस्वीरें आप देखते ही रह जाएंगे.

1. तुर्की

एशिया और यूरोप की सीमा पर बसा तुर्की एक बहुत ही खूबसूरत देश है. तुर्की ऐतिहासिक स्थलों, आकर्षक नजारों, तरह-तरह के मसालों, हलचल भरे बाजारों और नाइटक्लब के लिए जाना जाता है. दूर-दूर से टूरिस्ट यहां की प्राकृतिक सुंदरता, चमकता सूरज, रेतीले बीच और स्वादिष्ट कबाबों का लुत्फ लेने के लिए आते हैं. यहां सुल्तान अहमद मस्जिद है, जिसे नीली मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है. ये ऑटोमन वास्तुकला पर बनी पहली और एकमात्र छह मीनार मस्जिद है. इसके अलावा आप कप्पडोसिया जा सकते हैं. ये तुर्की के बीचोबीच बसा हुआ शहर है. यहां की अंडरग्राउंड जगहें, सूरज डूबने का खूबसूरत नजारा, हॉट एयर बलून राइड और गुफानुमा होटल देखकर आप बार-बार यहां आना चाहेंगे.

2. मॉस्को

मॉस्को, संयुक्त राज्य अमेरिका कि उत्तरी सीमा पर स्थित है. इस देश की कला और संस्कृति पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है. कॉपर कैनियन, मॉस्को का बेहद खूबसूरत स्थान है, ये घाटी की एक सीरीज है जो अपने आकर्षित हरे रंग के तांबे के लिए फेमस हैं. यहां से गुजरने वाला रास्ता 37 पुलों और 86 सुरंगों से होकर जाता है. इसके अलावा गुआनाजुआटो में बारोक कोबलस्टोन लेन और फुटपाथ कैफे जैसे शानदार दर्शनीय स्थल हैं. हालांकि मॉस्को का प्रमुख आकर्षण चिचेन इत्जा पर्यटन स्थल युकाटन प्रायद्वीप में स्थित है. ये रहस्यम इमारतों के लिए जाना जाता है.


3. मलेशिया

घूमने के शौकीन लोगों के लिए सबसे खास जगहों में एक मलेशिया है. मलेशिया टूरिस्ट प्लेस के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. यहां का सी-फूड काफी फेमस है. कम बजट वाले लोग आसानी से यहां पर घूम सकते हैं. कुआलालुम्पुर मलेशिया की राजधानी है जो सबसे ज्यादा खूबसूरत जगहों में से एक है. यहां की ऊंची-ऊंची इमारतें पर्यटकों को अपनी और खुद-ब-खुद आकर्षित कर लेती हैं. इसके बाद दातारन मर्डेका में स्थित सुल्तान अब्दुल समद के महल का अद्भुत नजारा देख सकते हैं. इसके अलावा आप पेनांग हिल भी जा सकते हैं जिसे मलेशिया का सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हिल स्टेशन माना गया है. यह जॉर्ज टाउन सिटी से लगभग 5 गुणा ज्यादा ठंडा है.


4. रूस

‘मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंग्लिशतानी, सर पे लाल टोपी रूसी, फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी.’ राज कपूर का ये सदाबहार गाना आज भी कहीं न कहीं रूस में आपको सुनने को मिल जाएगा. रूस एक ऐसा देश है जो प्राकृतिक रूप से भी बहुत खूबसूरत है. यहां बहुत सी मशहूर इमारतें जैसे क्रेमलिन काम्प्लेक्स, रेड स्क्वायर, सेंट बेसिल कैथेड्रल अपनी बनावट के लिए मशहूर हैं. पढ़ाई, साहित्य, संस्कृति का यह एक बेहतरीन गढ़ है. आर्ट और कल्चर के दीवानों के लिए मॉस्‍को सबसे बेहतरीन जगह है. रूस की राजधानी मॉस्‍को में खाने-पीने के कई ऑप्शन है. मुस्लिम और क्रिश्चन समुदाय का मेलजोल देखना हो, तो कजान एक परफेक्ट जगह है. यहां पर चर्च और मस्जिद देखने को मिलेंगे. यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड हेरिटेज के तौर पर लिस्ट में शामिल किया हुआ है. वहीं अगर आपको झील पसंद है, तो आप रूस की बेकल झील जरूर देख सकते हैं. दुनिया के 20 प्रतिशत हिस्से का साफ पानी इस झील में है. करीब 25 मिलियन साल पुरानी ये झील विशाल पहाड़ों से ढकी हुई है.


5. स्विट्जरलैंड

दुनिया की खूबसूरत टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स के बारे में चर्चा हो और स्विट्जरलैंड का नाम न लिया जाए, ऐसा तो हो ही नहीं सकता. पर्यटकों की लिस्ट में स्विट्जरलैंड हमेशा टॉप 5 में रहता है. इस देश को झीलों का देश भी कहा जाता है, क्योंकि यहां कुदरत मौसम के अलग-अलग रंग दिखाती है. इसलिए नेचर लवर्स को ये जगह बहुत पसंद आती है. स्विट्जरलैंड सबसे खास जगहों में एक है. घूमने के लिहाज से राइन नदी के तट पर बसा स्विट्जरलैंड का बेसल शहर सबसे आकर्षक है. इसके अलावा आप द राइन फॉल्स भी जा सकते हैं. 23 मीटर ऊंचा और 150 मीटर चौड़ा राइन फॉल्स यूरोप के सबसे बड़े और सबसे अधिक पानी से भरपूर झरनों में से एक है. यह स्विट्जरलैंड की बहुत ही खूबसूरत जगह है, जहां से आप बर्फ के पहाड़ों का अद्भुत नजारा भी देख सकते हैं.

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काम की बात! क्यों गर्म हो जाता है स्मार्टफोन? जानें कैसे अपने फोन को ओवर हीटिंग से बचा सकते हैं आप

फोन इस्तेमाल करते हुए हमें कई बार महसूस होता है कि फोन काफी गर्म हो गया है. स्मार्टफोन का ज्यादा गर्म होना खतरनाक भी हो सकता है, इससे आपके फोन की बैटरी भी फट सकती है. जानें कैसे ओवरहीटिंग की समस्या से बचा जा सकता है.

फोन में अकसर गर्म होने की समस्या रहती है.

आजकल स्मार्टफोन (Smartphone) हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी का ज़रूरी हिस्सा बन चुका है. कॉल करना हो, मेल भेजना हो, इंटरनेट का इस्तेमाल करना हो या फिर डिजिटल भुगतान करना हो, आजकल सभी छोटे बड़े काम के लिए हम अपने स्मार्टफोन पर निर्भर होते हैं. कई बार ज्यादा इस्तेमाल करने के कारण स्मार्टफोन गर्म होने लगता है. स्मार्टफोन का ज्यादा गर्म होना खतरनाक भी हो सकता है, इससे आपके फोन की बैटरी भी फट सकती है.

आखिर क्यों होती है ओवरहीटिंग की समस्या? हेवी ग्राफिक्स और लार्ज एप्लिकेशन का ज्यादा इस्तेमाल भी फोन को गर्म कर सकता है.

>>फोन में ज्यादा एप्लिकेशन, गेम या अन्य सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने के कारण ये समस्या होती है.

>>कुछ मामलों में, फोन की कॉम्युनिकेशन यूनिट और कैमरा भी गर्मी का कारण बनता है.

कैसे बचें ओवर हीटिंग से?
फोन को गर्म करने से न सिर्फ इसे इस्तेमाल करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है बल्कि इसकी परफॉर्मेंस भी खराब हो जाती है. तो चलिए जानते है इस समस्या से कैसे निजात पाया जा सकता है-

फोन कवर का इस्तेमाल करेंस्मार्टफोन के गर्म होने का एक बड़ा कारण है मोबाइल कवर. तेज धूप और गर्म वातावरण का असर भी मोबाइल पर पड़ता है. मोबाइल कवर भी अंदर की गर्मी को बाहर नहीं आने देते और फोन की कूलिंग में बाधा डालते हैं. फोन के कवर को समय-समय पर हटाना जरूरी है और अगर इस्तेमाल में नहीं है तो स्मार्टफोन को पंखे के नीचे रखें.

स्मार्टफोन को कभी फुल चार्ज न करें
कभी भी स्मार्टफोन को 100% चार्ज नहीं करना चाहिए. हमेशा अपने फोन में 90 फीसदी या उससे कम बैटरी रखें. इतना ही नहीं फोन की बैटरी को 20% से नीचे न जाने दें. बार-बार बैटरी चार्ज करने से ओवरहीटिंग हो जाती है, और अगर फोन में कम बैटरी है तो ये इसकी लाइफ के लिए नुकसान दायक हो सकता है. अपने फोन को दिन में 2-3 बार ही चार्ज करें.

बैकग्राउंड ऐप्स बंद करें
अगर आप किसी ऐप का उपयोग नहीं कर रहे हैं, तो उन्हें बैकग्राउंड से बंद कर दें. बैकग्राउंड में ऐप चलते रहते हैं जो फोन को ओवरहीट भी कर सकती हैं. आप जिन ऐप्स का उपयोग नहीं कर रहे हैं, उन्हें बंद करने के लिए ऐप आइकन पर फोर्स स्टॉप को सेलेक्ट कर लें.

ओरिजिनल चार्जर और USB का इस्तेमाल करें-
अपने स्मार्टफोन को डुप्लीकेट या सस्ते चार्जर से चार्ज करने से स्मार्टफोन में ओवरहीटिंग की समस्या हो सकती है. इतना ही नहीं बैटरी फटने का खतरा भी होता है.

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Crypto News: सॉफ्टवेयर बग की वजह से यूजर को मिली नौ करोड़ डॉलर की क्रिप्टोकरेंसी, हाथ जोड़कर सीईओ मांग रहा वापस

Cryptocurrency एक बग आ जाने की वजह से किसी यूजर के पास 9 करोड़ डॉलर की क्रिप्‍टोकरेंसी चली गई। अब इसे वापस लेने के लिए कंपनी के सीईओ हाथ जोड़कर निवेदन कर रहे हैं।

नई दिल्ली
crypto News Hindi: सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया भर के युवाओं में क्रिप्‍टोकरेंसी (Cryptocurrency) का क्रेज सर चढ़कर बोल रहा है। अल साल्वाडोर में बिटकॉइन को मान्यता देने के बाद दुनिया के अधिकांश देशों में Crypto को लेकर उत्‍साह देखने को मिल रहा है। कई देशों ने क्रिप्टो को मान्यता दी तो चीन जैसे कई देशों में इसे अवैध भी करार दे दिया गया है। इस बीच एक ऐसी घटना हुई है, जिसने सबको चौंका दिया है।

फाइनेंस प्‍लेटफॉर्म कंपाउंड में कुछ अपडेट किए जा रहे थे, इस बीच एक बग आ जाने की वजह से किसी यूजर के पास 9 करोड़ डॉलर की क्रिप्‍टोकरेंसी चली गई। अब इसे वापस लेने के लिए कंपनी के सीईओ हाथ जोड़कर निवेदन कर रहे हैं।


क्या है गड़बड़ी की वजह?
फाइनेंस प्लेटफार्म कंपाउंड में आई तकनीकी खराबी की वजह से किसी अनजान यूजर के अकाउंट में क्रिप्टो करेंसी ट्रांसफर हो जाना वास्तव में क्रिप्टो करेंसी प्लेटफॉर्म के लिए ब्लैक आई की तरह है। यह ट्रेडिशनल फाइनेंस सिस्टम की तुलना में क्रिप्टो को अधिक जोखिम भरा बनाता है। DeFI प्लेटफार्म में कोई बैंक या अन्य मिडलमैन शामिल नहीं होता, जो फंड पर नजर रख सके। इसलिए स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट पर ही भरोसा करना पड़ता है। यहां यूजर्स पर कंप्यूटर कोड द्वारा ही नियंत्रण किया जा सकता है।

इस मामले में क्रिप्टो करेंसी ट्रांसफर होने से जुड़ी गड़बड़ियों के बारे में कहा गया है कि क्रिप्टो करेंसी की दुनिया में कोड ही कानून है। कंप्यूटर कोड ही पूरे सिस्टम को गवर्न करते हैं। आलोचकों का कहना है कि इस कोड में गलतियां हो सकती हैं जिसकी वजह से अन्य यूजर्स को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

COMP की वजह क्या?
कंपाउंड में यह समस्‍या बुधवार को शुरू हुई थी, जब यूजर्स ने कंपाउंड के प्लेटफॉर्म के अपडेट को मंजूरी दे दी, जिसमें एक बग था। कंपाउंड लैब्स इंक के सीईओ रॉबर्ट लेशनर ने ट्विटर पर लिखा कि बग कुछ यूजर्स के लिए बहुत अधिक सीओएमपी (COMP) का कारण बना, लेकिन चूंकि मंच विकेंद्रीकृत है और वेटिंग पीरियड की जरूरत है, तो न उनकी कंपनी और न ही किसी और के पास टोकन बांटने को रोकने की क्षमता है। सीओएमपी एक प्रकार का टोकन है, जिसकी शुक्रवार को कीमत 319 डॉलर प्रति कॉइन थी।

एक्सपर्ट की राय
अमेरिकंस फॉर फाइनेंशियल रिफॉर्म के सीनियर पॉलिसी एनालिस्‍ट एंड्रयू पार्क ने कहा, “मौजूदा बैंकिंग प्रणाली की आलोचना करने की कई वजहें हैं, लेकिन इस तरह की चीजों को होने से रोकने के लिए बहुत सारे सुरक्षा उपाय हैं। अगर मेरे पास कंपाउंड में मेरा पैसा जमा है, तो अब मुझे उस सिस्टम में कितना विश्वास रहेगा?”

Posted by Technical Mechzone

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Posted by Technical Mechzone